
भारत आ पाकिस्तान के बीच चार दिन चले टकराव के बाद सीज़फायर के ऐलान भइल। बाकिर पटना के सड़क से लेकर चाय के दुकान तक, लोगन के बहस ई बा कि ई युद्धविराम मजबूरी रहल कि पाकिस्तान पर पड़ल भारत के दबाव?
भोपाल की जनता बोली – सीज़फायर ठीक है, लेकिन पाकिस्तान पर भरोसा नहीं
पटना के जनता का कहेले?
मुजाहिद रजा बोले,
“हम मुसलमान होके पाकिस्तान के हरकत से नाराज़ बानी। भारत के सुरक्षा सबसे ऊपर बा। आतंकवाद के मुंहतोड़ जवाब मिलल चाहीं। सीज़फायर ठीक बा, बाकिर सतर्कता ज़रूरी बा।”
रामदेव पासवान के माने बा,
“पाकिस्तान से दोस्ती के बात अब बेकार बा। ऊ लोग बस धोखा देवे जानेला। हम मोदी जी के रणनीति के समर्थन करिला।”
नाजिया खातून कहली,
“हम चाहिले कि सीमा पर शांति होखे, बाकिर आतंक के जवाब ज़रूरी बा। भारत अब कमजोर नइखे।”
अब्दुल सत्तार मंसूरी बोलले,
“हम भारत के नागरिक बानी, भारत के फौज पऽ पूरा भरोसा बा। पाकिस्तान के सिखावे के तरीका अब बदल गइल बा। सीज़फायर तबे टिके जब पाक सुधरी।”
मनीष झा कहले,
“भारत के संयम आ शक्ति दुनो देखे के मिलल। ई सीज़फायर भारत के जीत ह। पाक डर के पीछे हटल।”
पटनइया सच्चाई – धर्म ना, देश के सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बा
ई साफ-साफ देखा गइल बा कि पटना के लोग, चाहे हिन्दू होखस चाहे मुसलमान, अब पाकिस्तानी चालबाज़ी से बुरी तरह ऊब चुकल बा। मुस्लिम समाज के भी बड़ा तबका ई कहता कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के स्टैंड एकदम सही बा।
पटना से निकलल आवाज़, पूरा देश के मन के आवाज़ बा —
“सीज़फायर शांति के रास्ता हो सकेला, बाकिर अगर दुश्मन फिर से चाल चलेला, त भारतीय फौज के बंदूक फेर से गरजे के चाहीं।”
“देश पहिले बा, बाकी सब बाद में।”
सीज़फायर पर मुंबई वालों की राय: क्या ये फाइनल पीस है या एक और ‘पॉज़’ बटन?